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चित्रभानु
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painter
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
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agni
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surya
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sun
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चैत्रभानव
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धर्मसिंधु - दोन प्रकरणांचा निर्णय
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयांत नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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साठ संवत्सर
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अध्याय ९० वा - श्लोक ३१ ते ३५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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संवत्सर
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६०
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संकेत कोश - संख्या ६०
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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चतुर्थ काण्डः - १ ते ५
पैप्पलादसंहिता
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प्रथम परिच्छेद - काळाचे भेद
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल, याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे.
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संवत्सर
ज्योतिष हा विषय वेदांइतकाच प्राचीन आहे.
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स्कंध १० वा - अध्याय ९० वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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मानसागरी - अध्याय १ - संवत्सरफल
ज्योतिष का मुख्य उद्देश्य दैनिक जीवन की समस्याओं का समाधान करना, आगामी घटनाओं की चेतावनी देना तथा उन घटनाओं का समय निश्चित करने मे व्यक्ति को सहायता प्रदान करना है ।
Jyotisha or Horoscope is a prediction of someone's future based on the relative positions of the planets
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बृहत्संहिता - अध्याय ८
शके ८८८ फाल्गुन कृष्ण द्वितीया गुरुवारी उत्पलनामकाने ही टीका केली.
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संकेत कोश - संख्या १८
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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यदु
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हरिविजय - अध्याय ३६
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
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१८
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श्रीवामनपुराण - अध्याय ४७
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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अथर्ववेदः - काण्डं १३
अथर्ववेदात देवतांची स्तुति तसेच जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान आणि दर्शनाचे मन्त्र सुद्धा आहेत.
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श्रीसिद्धचरित्र - अध्याय चाळिसावा
श्रीपतिनाथ विरचित श्रीसिद्धचरित्र ग्रंथ शके १८०५ (इ.स.१८८३) मध्ये लिहीला.
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अग्नि
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द्वितीय पाद - संहिताप्रकरण
` नारदपुराण ’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द- शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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